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May 24, 2015 | www.hastakshep.com/hindi-news/nation/2015/05/24/अखिलेश-यादव-से-कनहर-में-शा

नई दिल्ली। ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपुल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर जनपद सोनभद्र में 14 व 18 अप्रैल को कनहर बांध के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रर्दशन कर रहे ग्रामीणों पर गोलीकांड की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच एवं जिला प्रशासन द्वारा इलाके में अघोषित आपातस्थिति को समाप्त करने एवं असंवैधानिक भू अधिग्रहण व बांध निर्माण पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए कहा है कि यदि सीधे सरकार और लोगों के बीच सीधी वार्ता हो तभी एक दीर्घकालीन समाधान संभव है अन्यथा इस अराजक स्थिति का इस्तेमाल अराजक तत्व व हथियार बंद ताकतों द्वारा किया जा सकता है।

यूनियन के अध्यक्ष जारजूम ऐटे, महासचिव अशोक चौधरी, संगठन सचिव मुन्नीलाल व उपमहासचिव रोमा ने कहा है कि वर्षो के संघर्ष के बाद यह क्षेत्र हथियार बंद कार्यवाही से मुक्त हुआ है व जनवादी संघर्षो एवं जनांदोलनों से जनवादी परिसर कायम किया गया है, जिसमें वनाधिकार कानून 2006 की एक बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए जल्द से जल्द इस मामले में राजनैतिक हस्तक्षेप कर स्थिति में शांति बहाली की व्यवस्था कराई जाए व जनवादी मूल्यों की रक्षा की जाए।

पत्र निम्नवत् है -

 

23 मई 2015

सेवा में,

माननीय मुख्य मंत्री,

श्री अखिलेश यादव,

उत्तर प्रदेश सरकार।

विषय: जनपद सोनभद्र में 14 व 18 अप्रैल को कनहर बांध के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रर्दशन कर रहे ग्रामीणों पर गोलीकांड़ की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच एवं जिला प्रशासन द्वारा इलाके में अघोषित आपातस्थिति को समाप्त करने एवं असंवैधानिक भू अधिग्रहण व बांध निर्माण पर तत्काल रोक के लिए

माननीय मुख्यमंत्री महोदय,

जैसा कि आपको विदित है कि जनपद सोनभद्र में प्रस्तावित निर्माणधीन कनहर बांध परियोजना को लेकर आसपास के कई गांव जैसे सुन्दरी, भीसुर, कोरची, सुगवामन, नाचनटाड़, लामी आदि गंाव पिछले दिसम्बर 2014 से शांतिपूर्वक ढ़ंग से इस गैरकानूनी भू अधिग्रहण के खिलाफ अपना धरना चला रहे थे। जिस सम्बन्ध में नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल में भी एक याचिका दायर की गई थी तथा माननीय न्यायालय द्वारा 24 दिसम्बर 2014  सरकार द्वारा वन अनुमति पत्र न प्रस्तुत किए जाने पर निर्माण कार्य पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी। लेकिन इसके बावजूद भी काम ज़ारी रहा जिसकी वजह से लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। इसी दौरान 30 दिसम्बर 2014 को केन्द्र सरकार द्वारा भू अध्यादेश लाया गया जिसका विरोध पूरे देश में शुरू हो गया। इस संदर्भ में आपकी पार्टी द्वारा भी अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ राजनैतिक मोर्चा बनाया गया व जिसके तहत भू अध्यादेश का विरोध अभी तक भी ज़ारी है। आपके द्वारा भी यह घोषणा की गई है कि प्रदेश में जबरदस्ती भू अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। देश के कई जनसंगठन, वामपंथी दलों से जुड़े किसान संगठन आदि ने 24 फरवरी 2015 को नई दिल्ली के संसद मार्ग पर विशाल जनसमागम के साथ इस भूअध्यादेश का विरोध किया। इस कार्यक्रम में हमारी यूनियन एक मुख्य आयोजक थी। इसी कार्यक्रम में कनहर के ग्रामीण भी हज़ारों की संख्या में शामिल हुए थे व संसद मार्ग में गठित ‘‘ भू अधिकार आंदोलन’’ का हिस्सा बन गए। इसी आंदोलन की घोषणा अनुसार 23 मार्च को शहीद-ए- आज़म भगतसिंह को श्रद्धांजलि देते हुए भू अधिग्रहण के खिलाफ देश भर में विरोध हुआ था। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 5 हज़ार लोगों ने ग्राम अमवार में जहां पर कनहर बांध का अवैध निर्माण हो रहा है वहां पर शांतिपूर्वक जुलूस किया। इसके पश्चात यह तय हुआ कि 6 अप्रैल को पूरे देश में भू अध्यादेश की प्रतियां जलाई जाएगंी उस कार्यक्रम के तहत भी 3 अप्रैल से लेकर 6 अप्रैल तक कनहर के सुन्दरी, भीसूर एवं कोरची गांवों में सैकड़ों की संख्या में महिला पुरूष ने जनजागरण के लिए रैली निकाली। इसकी पूरी सूचना जिला प्रशासन को दी गई थी। 6 अप्रैल को यह प्रतियां ग्रामीणों द्वारा जलाई भी गई और मिटटी में दबा कर पेड़ भी लगाए गए। तत्पश्चात भू अधिकार आंदोलन के कार्यक्रम के तहत 14 अप्रैल 2015 को अम्बेडकर जयंती के दिन भू अधिग्रहण के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रम तय किए गए उसी श्रंखला में कनहर में भी विरोध प्रर्दशन तय किया गया। इसी कार्यक्रम के तहत कनहर निवासीयों ने 14 अप्रैल को निर्माण स्थल पर प्रर्दशन के लिए सुबह 6 बजे जा रहे थे तो कोतवाल कपिल यादव ने अकलू चेरो आदिवासी पर सीधे गोली चलाई जो कि उनके सीने से आर पार हो गई। आंदोलनकारीयों से न कोई बात की गई न ही उन्हें चेतावनी दी गई कि उनपर गोली चलाई जाएगी। अकलू चेरो निवासी सुन्दरी के सीने के उपरी हिस्से से गोली आर पार हो गई व 35 अन्य लोग घायल हो गए। इससे लोगों में और भी आक्रोश पैदा हो गया व ग्रामीणों ने पांच दिन तक काम को रोक दिया लेकिन प्रशासन द्वारा धरना स्थल पर आकर ग्रामीणों से किसी भी प्रकार की वार्ता करने की कोशिश नहीं की गई। जबकि सभी अधिकारी 14 अप्रैल से पास में ही स्थित फील्ड हास्टल में मौजूद थे। 18 अप्रैल की सुबह 6 बजे जिस तरह से पुलिस प्रशासन ने निहत्थी महिला, बजुर्गो एवं पुरूषों पर जानलेवा हमला किया वह हमारे लोकतांत्रिक प्रणाली को शर्मसार करती है। पुलिस की इस बर्बरता, अत्याचार एवं जनवादी जगह को समाप्त करने की कोशिश से एक बार फिर यहां के आदिवासीयों को माओवादीयों की ओर धकेलने की कोशिश की जा रही है। इस काम के लिए स्थानीय दबंग, माफिया और पुलिस की सांठ गांठ बनी हुई है। ज्ञातव्य रहे कि कैमूर क्षेत्र में एक दशक पहले तक माओवादी पार्टी की भारी मौजूदगी रही लेकिन जनवादी संगठनों के प्रयासों की वजह से यहां से लेकर बिहार के अधौरा कैमूर तक माओवादी गुट कमज़ोर हुए और अभी उनकी मौजूदगी यहां नहीं है। इस बात की पुष्टि दोनों प्रदेशों की सरकारों ने की है। हमारे यूनियन का 100 सदस्यीय प्रतिनिधि मंड़ल आपसे पिछले वर्ष 14 अप्रैल को वनक्षेत्र में वनाधिकार कानून 2006 को लागू करने के लिए आपके आवास में मिला था जहां पर आपने आश्वसत किया था कि पूरे प्रदेश में वनाधिकार कानून को प्रभावी ढ़ंग से लागू किया जाएगा। इस संदर्भ में आपके द्वारा सभी जिलाधिकारीयों को आदेश भी ज़ारी किए गए थे। हमारा विश्वास है कि सरकार के साथ वार्ता कर ही समस्याओं का निदान हो सकता है। इसी तरह बिहार के मुख्य मंत्री नीतिश जी ने खुद पिछले वर्ष 6 अप्रैल को अधौरा में जनता और जनसंगठनों के प्रतिनिधियों से बात की और आयुक्त पटना ने कई बार क्षेत्र के विकास के लिए संगठन के साथ कार्यक्रम भी तैयार किए जो कि अभी भी ज़ारी है। जिसमें वनाधिकार कानून 2006 को लागू करने के लिए हमारे यूनियन के साथ कई बैठके भी हुई हैं।

इस संदर्भ में कनहर के आसपास के गांव में किया जा रहा भू-अधिग्रहण सरासर गैरकानूनी है, आदिवासी अपनी जमींन नहीं छोड़ना चाहते। तथा आपके द्वारा भी कई बार कहा गया कि प्रदेश में जबरदस्ती भू अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। लेकिन इन घोषणाओं के बावजूद भी पुलिस प्रशासन, दबंग, दलाल व गुंड़े पूरी तरह से इस क्षेत्र में हावी है व एक आपातकालीन स्थिति घोषित कर 144 धारा गैरकानूनी रूप से लागू की गई है। प्रभावित क्षेत्र के लेागों को आपस में बात नहीं करने दिया जा रहा, उन्हें आने जाने से रोका जा रहा है, घायलों के उपचार के लिए अस्पताल जाने नहीं दिया जा रहा, अपनी पैरवी करने अदालत नहीं जाने दिया जा रहा आदि। राजनैतिक रूप से इस क्षेत्र में ख़तरनाक स्थिति बनती जा रही है चूंकि यह क्षेत्र चार राज्यों का बार्डर है इसलिए यह क्षेत्र अतिसंवेदनशील है। इस समय इस मामले में राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं किया गया तो पड़ोसी राज्यों में भी इसका असर पड़ेगा एवं आंतक के माहौल का सरकार और लोगों दोनों के लिए राजनैतिक अंजाम अच्छा नहीं होगा। प्रशासन जमींनी स्तर पर पूरी तरह से मोदी सरकार की जुबान में बात कर रही है और बकौल पुलिस अधीक्षक शिव शंकर यादव के लिए यह कनहर परियोजना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

इस मामले में आपके द्वारा हस्तक्ष्ेाप की अंत्यंत आवश्यकता है ताकि इस मामले में वार्ता का माहौल तैयार हो कर इस समस्या का सामधान निकाला जा सके।  जिससे इस क्षेत्र में शांति बहाली की स्थापना हो सकती है। इस संदर्भ में इन मांगों पर तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है अन्यथा इस क्षेत्र में एक अराजक स्थिति उत्पन्न होने की आंशका है -

1.            राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के 7 मई 2015 के आर्डर के तहत नए निर्माण पर तत्काल रोक लगाई जाए व क्षेत्र मंे जनवादी माहौल को कायम किया जाए।

2.            कनहर नदी पर बन रहे अवैध बांध के आस पास के गांव में पुलिसिया दमन पर तत्काल रोक लगाई जाए। दमन के लिए अवैधानिक रूप से धारा 144 लागू कर दमन को और भी तेज़ किया जा रहा है धारा 144 को तुरंत खारिज किया जाए।

3.            14 व 18 अप्रैल 2015 को गोलीकांड़ एवं लाठीचार्ज की शुरूआत पुलिस द्वारा की गई व इससे पूर्व भी 23 दिसम्बर 2014 को पुलिस के द्वारा ही ग्रामीणों से झड़प हुई। इन तीनों घटनाओं के सम्बन्ध में उच्च स्तरीय न्यायिक अथवा सी0बी0आई जांच कराई जाए।

4.            इस संदर्भ में छतीसगढ़ बचाओं आंदोलन, दिल्ली से गई एक जांच दल, संदीप पांड़े के नेतृत्व में सोशिलिस्ट पार्टी आफ इंडि़या के सदस्यों, व एन0ए0पी0एम की नेता मेधा पाटकर द्वारा अपनी रिपोर्ट में पुलिसिया दमन के बारे में काफी महत्वपूर्ण तथ्य भी उजागर किए हैं। व इस दमन की भरपूर निंदा की है। इन सभी रिपोर्टो का संदर्भ लेते हुए भी तत्काल निहत्थे महिला व पुरूषों पर हुए पुलिसिया दमन की जांच कर दोषी अधिकारीयों, पुलिस कर्मीयों पर प्राथमिकी दर्ज कर सज़ा दी जाए।

5.            गोली चलाने की आखिर क्यों जरूरत पड़ी? क्या वजह थी गोली अकलू चेरो के सीधे सीने पर दागी गई? क्या गोली चलाने से पूर्व जो नियम है उन नियमों का पालन किया गया? अगर नहीं तो क्यों नहीं? बुजुर्गो व महिला पर लाठी चार्ज सीधे सिर पर क्यों किया गया? व लाठी चार्ज के दौरान क्यों कोई महिला पुलिस वहां पर मौजूद नहीं थी? इन सब प्रश्नों की निष्पक्ष जांच कराई जाए।

6.            अभी तक अकलू चेरो निवासी सुन्दरी जिसकों गोली लगी थी उसकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, 14 अप्रैल को 35 लोग घायल हुए थे जिसमें सबसे अधिक महिलाए थी उनकी भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई व 18 अप्रैल को जो घायल हुए जिसमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग लोग थे जिनके सीधे सर पर लाठी मारी गई उनकी भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई व दोषी अधिकारीयों को नामजद नहीं किया गया है। जबकि बड़ी संख्या में ग्रामीणों व आंदोलनकारीयों पर असंख्स झूठे फर्जी केस लादे गए हैं व उन्हें जेल में बंद किया जा रहा है। इस एकतरफा कार्यवाही पर रोक लगाई जाए व न्याय का पक्ष लिया जाए।

7.            अकलू चेरो के इलाज के लिए काफी दिक्कतें आ रही हैं उसके लिए प्रशासन से कुछ मदद जरूर की गई लेकिन जब उन्हें डिस्चार्ज किया गया तब उनके साथ पुलिस द्वारा काफी खराब बर्ताव किया गया। उन्हें शाम 6.30 बजे रार्बटसगंज पुलिस द्वारा वाराणसी से रार्बटसगंज तक ले जाया गया । रात 10 बजे उस बीमार आदमी को बस में चढ़ा दिया गया उसके घर जाने के लिए जो कि वहां से लगभग 70 किमी दूरी पर जंगल में स्थित है। बस में प्रशासन द्वारा मदद के 6000 रू व उसके अपने 5 हज़ार रू बस में चढ़ते ही चोरी कर लिए गए। हमारी आंशका है यह चोरी पुलिस की सांठ गांठ से की गई हैै। इस संदर्भ में सभी अधिकारीयों को कई पत्र लिखे जा चुके हैं लेकिन अभी तक अकलू चेरो से लूटे गए पैसे उसे वापिस नहीं मिले हैं। इस संदर्भ में जांच कर उन्हें यह पैसा तुरंत वापिस दिलाया जाए।

8.            14 अप्रैल को अकलू चेरो के साथ अस्पताल में दाखिल कराने गए उसके दो साथीयों अशर्फी यादव और लक्ष्मण भुईयां को वाराणसी के सर सुन्दर लाल अस्पताल से शाम 4 बजे ही रहस्यमयी ढ़ंग से गायब कर दिया गया। इनका तीन दिन तक कुछ पता ही नहीं चला। जिलाधिकारी से काफी पूछने पर पता चला कि ये दोनों लोग जेल में हैं। अकलू की देखभाल में लापरवाही के चलते उसकी मौत भी हो सकती थी। इस संदर्भ में भी हमारी मांग है कि उच्च स्तरीय जांच की जाए कि आखिर इन दोनों लोगों को जो कि एक बीमार की देखभाल करने गए थे कब और क्यों गायब किया गया। और क्या उनको गिरफतार करने से पहले सोनभद्र पुलिस ने वाराणसी पुलिस को सूचना दी थी?

9.            मिर्जापुर जेल में निरूद्ध आंदोलनकारीयों राजकुमारी व गंभाीरजी द्वारा सूचना भेजी गई है कि उनके साथ पुलिस द्वारा अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। मार कर काम कराया जा रहा है व पर्याप्त भोजन नहीं दिया जा रहा। उनके स्वास्थ का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा। और न ही उन्हें किसी से मिलने दिया जा रहा है। हमारी यूनियन की टीम के कार्यकारिणी सदस्य मातादयाल को गंभीरा जी, पंकज भारती, अशर्फी यादव, लक्ष्मण भुईयां व अन्य आंदोलन के साथीयों से 22 मई 2015 को नहीं मिलने दिया गया केवल राजकुमारी से मिलने दिया गया। कनहर के आंदोलनकारी साथीयों के मानवाधिकार हनन नहीं होना चाहिए व उनको सभी से आज़ादी से मिलने दिया जाए। वे लोग चोर, उच्चके, डाकू, हत्यारे या बलात्कारी नहीं बल्कि सत्याग्रही है। उनके साथ जेल प्रशासन सम्मानजनक व्यवहार करे।

10.          शांतिपूर्वक धरना प्रर्दशन को प्रशासन द्वारा हिंसक प्रर्दशन बताया जा रहा है जबकि हिंसा पुलिस प्रशासन ने वहां के स्थानीय गुंडों के साथ मिल कर प्रर्दशनकारीयों पर की व उल्टे ही कनहर बांध विरोधी संघर्ष समिति एवं कनहर बचाओ आंदोलन के गंभीरा प्रसाद, शिवप्रसाद खरवार, अयूब, पंकज भारती, यूनियन के महिला कार्यकर्ता सोकालो गोंण, राजकुमारी भुईयां, रोमा पर लूट व डकैती के अंसख्य फर्जी मुकदमें लाद दिए गए हैं जिससे साफ पता चलता है जिला प्रशासन अराजकता फैला कर बांध को अवैधानिक तरीके से बनाना चाहती है व इलाके के आदिवासी बाहुल्य इलाके की भूमि को जबरदस्ती लूटना चाहती है। इन तमाम फर्जी मुकदमों को तुरंत वापिस लिया जाए व इलाके में ज़ारी गैरकानूनी 144 धारा को भी तुरंत समाप्त किया जाए।

11.          आंदोलन के नेता गंभीरा प्रसाद को भी 21 अप्रैल को इलाहाबाद में उनके वकील श्री रवि किरण जैन के घर के बाहर से गुंड़ों द्वारा अपने आप को पुलिस कहने वालों ने जिस तरह से गिरफतार किया वह भी मानवाधिकार का सरासर उल्लघंन है। उनकी गिरफतारी के बारे में भी सोनभद्र पुलिस द्वारा इलाहाबाद पुलिस को किसी प्रकार की सूचना नहीं दी गई थी। जिससे साफ पता चलता है कि गंभीरा जी की भी जान सुरक्षित नहीं थी अगर वहां उपस्थित लोगों ने तीन लोगों को पकड़ नहीं लिया होता तो निश्चित ही गुंड़ों ने उन्हें मार गिराया होता। इस मामले में भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए व दोषी अधिकारीयों को सज़ा दी जानी चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि कनहर बांध बनाने के लिए जो बजट है उसे इलाके में गुंड़ो की बड़ी फौज खड़ा करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस संदर्भ में उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

12.          गंभीरा प्रसाद पर जिस तरह से फर्जी केसों को लादा जा रहा है व उनके बुनियादी अधिकार जमानत से वंचित किया जा रहा है इस पर तत्काल रोक लगाई जाए व उन्हें बाईज्जत बरी किया जाए।

13.          सुन्दरी गांव के ही पंचायत मित्र पंकज भारती को आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए संस्पेंड़ कर कई केस लाद कर जेल भेज दिया गया है। लोतांत्रिक प्रणाली में अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के आंदोलन को नेतृत्व देना तो कोई अपराध नहीं है? पंकज भारती को फौरन बहाल किया जाए व उन्हें भी बाईज्जत बरी किया जाए।

14.          आंदोलनकारीयों के अमवार पांगन नदी के किनारे दिसम्बर 2014 से चल रहे धरने का पूरा सामान 18 अप्रैल को पुलिस द्वारा लूटा गया जिसमें दो जेनरेटर सेट, टैंट, बर्तन, दस्तावेज़, झंड़े बैनर आदि काफी सामान था उसे तुरंत संघर्ष कर रहे ग्रामीणों को लौटाया जाए।

15.          सभी घायल महिला, बूढ़े व पुरूषों को किसी प्रकार से चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल रही है, हमले के बाद दुद्धी व रार्बटसगंज अस्पताल को पुलिस अधीक्षक शिव शंकर यादव द्वारा जेल में तब्दील कर दिया गया था। गंभीर घायल लोगों की दुर्दुशा जब दिल्ली से आई जांच दल द्वारा मीडिया में खबरें आई तब सभी की छुटटी कर दी गई। गांव से लोगों को पुलिस द्वारा बाहर नहीं आने दिया जा रहा। ऐसे में घायल लोग अपनी दवा भी नहीं करवा पा रहे। इस आपातकालीन स्थिति को समाप्त कर घायल लोगों के उपचार की समुचित व्यवस्था की जाए व सभी को उनकी मेडिकल रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए।

16.          आदिवासी महिला नेतृत्व को व सामाजिक कार्यकर्ताओं के जिले में प्रवेश निषेध सम्बन्धी आदेशों को फौरन वापिस लिया जाए। जिला सोनभद्र में बड़े पैमाने पर कलवंत अग्रवाल जैसे बलात्कारी, ओबरा खनन हादसे के अपराधी खनन माफिया, अफसर आदि, कई भ्रष्ट अधिकारी व हत्यारे खुले घूम रहे हैं सरकार व प्रशासन को उनपर कार्यवाही कर उन्हें जेल भेजना चाहिए व सामाजिक स्तर पर काम कर रहे लोगों व खासतौर पर महिलाओं का सम्मान करना चाहिए।

17.          पुलिस अधीक्षक शिव शंकर यादव को मासूम ग्रामीणों, महिलाओं व आदिवासीयों पर बर्बरता अपनाने, इलाके में गुंड़ों, चुगले, दलालों के साथ सांठ गांठ कर हमला करवाने, लोगों की जानमाल की सुरक्षा न करने, क्षेत्र में सभी संवैधानिक अधिकारों व मानवाधिकारों का हनन करने, ग्राम सुन्दरी, भीसूर, कोरची आदि गांवों में लूट पाट करवाने, घर तुड़वाने व इस क्षेत्र में आपातकालीन जैसी स्थिति उत्पन्न करने के लिए संस्पैड किया जाए व उनपर आपराधिक मुकदमें दर्ज किए जाए।

18.          आपसे अनुरोध है कि कनहर बांध के संदर्भ में तमाम पर्यावरण कानूनों के उल्लघंन एवं अवैध भू अधिग्रहण को रोकने के संदर्भ में वार्ता का माहौल बनाया जाए। वनाधिकार कानून 2006 को प्रभावी ढ़ंग से लागू किया जाए। इस देश के नागरिकों को यह संवैधानिक अधिकार प्राप्त है कि वे संविधान में प्राप्त अपने मौलिक अधिकारों के अनुच्छेद 19 के तहत अपनी बात रख सके, संगठन कर निर्माण कर सकें व संगठित हो कर अन्याय के विरूद्ध लड़ सकें। पुलिस अधिकारीयों कपिलदेव यादव, प्रभारी निरिक्षक थाना दुद्धी, अशोक सिंह यादव, थानाध्यक्ष बभनी, सर्वेश कु0 सिंह थानाध्यक्ष विन्ढ़मगंज, महाबीर यादव चैकी प्रभारी अमवार, चन्द्रशेखर यादव उपनिरिक्षक थाना दुद्धी, चन्दन सिंह, सुनील यादव आरक्षी थाना दुद्धी, राजेन्द्र यादव आरक्षी थाना दुद्धी, फूलचन्द मिश्रा आरक्षी थाना दुद्धी, संजय यादव, आरक्षी थाना बभनी, अतुल कुमार आरक्षी थाना विन्ढ़मगंज, देवेन्द्र सिंह आरक्षी थाना विन्ढ़मगंज, बृजेश कुमार आरक्षी थाना ओबरा, अविनाश राय आरक्षी पुलिस लाईन, अमृत राय मुख्य आरक्षी पुलिस लाईन, गौरी शंकर यादव मुख्य आरक्षी पुलिस लाईन  कभ0द0स0 तहत 166,167,191,193,218,307,308,323,326,339,352,511 और 32 के तहत व अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(1)(x) (xi), 3(2) (i), (ii), (v), (vii) o धारा 4 के तहत कार्यवाही की जाए।

19.          इसके अलावा पुलिस द्वारा आंदोलनकारीयों पर हमला करनवाने के लिए अन्य बांध समर्थक जो कि 18 अप्रैल को आंदोलनकारीयों पर हमला करने में शामिल थे सादिक पुत्र नूर मोहम्मद, एजाज पुत्र सादिक,फईआज़ पुत्र नूरमोहम्मद, मुरहक पुत्र फजीतो करीब, बहादर पुत्र मुहम्मद सभी ग्राम बघाडू, शमशेर पुत्र सादिक हुसैन व मुहम्मद पुत्र रमजान अली ग्राम सुन्दरी से, निराला पुत्र किसुन, रमेश पुत्र गुलाब, अलाउदीन पुत्र हैदर,सुवास प्रधान पुत्र रोशन सभी ग्राम अमवार से, चिन्तामणि पुत्र मीठू, जगदीश पुत्र गंगा, सीतल पुत्र सेवक यादव, रामजीत पुत्र शोभी सभी ग्राम भीसूर से, सलाउदीन पुत्र इस्लाम ग्राम बैरखड से, जगदीश यादव ग्राम जोरूखाड़, जुब्रैल दुद्धी से, कभ0द0स0 तहत 166,167,191,193,218,307,308,323,326,339,352,511 और 32 के तहत व अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(1)(x) (xi), 3(2) (i), (ii), (v), (vii) o धारा 4 के तहत कार्यवाही की जाए।

20.          इस आक्रमण में क्षेत्र रूबी प्रसाद विधायक दुद्धी, अविनाश कुशवाहा विधायक राबर्टसगंज एवं पूर्व विधायक विजय सिहं गोंण पर स्थानीय आंदोलनकारीयों पर गोली चलवाने व लाठी चार्ज में शामिल रहे उनपर भी दण्ड़ात्मक कार्यवाही कर उनपर क्षेत्र की जनता की सुरक्षा न करने पर अपराधिक मुकदमें दर्ज किए जाए।

घायलो के नाम की सूची जिनके द्वारा प्राथमिकी दर्ज की जाए

1 अकलू चेरो पुत्र विक्रम ग्रा0सुन्दरी, 2. शांति देवी पत्नि भरत ग्राम सुन्दरी, 3.सन्तोष पुत्र शिवप्रसाद ग्रा0 भीसुर, 4. राजदेव पुत्र हरदेव ग्रा0 महुली 5.धर्मवीर पुत्र फुलेश्वर ग्रा0 सुन्दरी 6. रामप्रसाद पुत्र रामदयाल ग्रा0 सुन्दरी 7. बूटन साव पुत्र सरजू साव ग्रा0 सुन्दरी, 8. माताप्रसाद पुत्र रामअवतार ग्रा0 भीसूर 9. रूपशाह पुत्र जागेश्वर ग्रा0 कोरची 10. रजकरिया पत्नि रामआधार ग्रा0 भीसूर 11. मानपती पत्नि रामसकल ग्रा0 सुन्दरी 12. फूलमती पत्नी बल्ला शाह ग्रा0 कोरची 13. देवकलिया पत्नी सनीचर ग्रा0 सुन्दरी 14. किसमतिया पत्नी गनपत ग्रा0 भीसुर 15.मनोज खरवार पुत्र केश्वर निवासी पचरवल जिला बलरामपुर छतीसगढ़ 16. फैाजदार पुत्र केशवराम ग्रा0 भीसुर 17. उदय पुत्र मेवल ग्रा0 भीसुर 18. सनीचर पुत्र रामदास ग्रा0 सुन्दरी 19. जहूर पुत्र गुलाम रसूल ग्रा0 सुन्दरी 20. अजीबुददीन पुत्र नूर मोहम्मद ग्रा0 सुन्दरी 21. मोईन पुत्र एनुल ग्रा0 सुन्दरी 22. बखोरी पुत्र सम्पत ग्रा0 सुन्दरी 22. विजेन्द्र जयसवाल पुत्र रामवेनी ग्रा0 अमवार 23.धनेश्वरी, 24 अतवारी, 25.कलावती 26. शांति,27.बिफनी, .28फूलपतिया 29.काउली 30.देवकली31.रजवन्ती 32.अकली 33. रजमनीया 34. पनवा 35.फूलवन्ती 36. रामनगीना 37. दीनानाथ 38. रामदिहल 39. देवराज 40. कलाम्मुददीन 41. कामता खवार 42. आत्मा खरवार 43. संजय 44. अजय 45. धर्मजीत 46. परमेश्वर 47. बैजनाथ सभी ग्राम सुन्दरी से व 48. रामदुलार 49. संतोष 50. रजिया 51. बुद्धिनारायण 52. मंगला 53 प्रमोद ग्राम भीसुर से 54. केवलपति पत्नी नंदकुमार 55. विध्यांचल पुत्र दुनिया ग्रा0 सुन्दरी से।

हम आशा करते है आप इन सब मांगों पर गंभीरता से लेगें व तत्काल इस पर कार्यवाही शुरू की जाएगी एवं बातचीत का माहौल बनाया जाएगा। वार्ता सीधे सरकार और लोगों के बीच होनी चाहिए तभी एक दीर्घकालीन समाधान संभव है अन्यथा इस अराजक स्थिति का इस्तेमाल अराजक तत्व व हथियार बंद ताकतों द्वारा किया जा सकता है। वर्षो के संघर्ष के बाद यह क्षेत्र हथियार बंद कार्यवाही से मुक्त हुआ है व जनवादी संघर्षो एवं जनांदोलनों से जनवादी परिसर कायम किया गया है जिसमें वनाधिकार कानून 2006 की एक बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए जल्द से जल्द इस मामले में राजनैतिक हस्तक्षेप कर स्थिति में शांति बहाली की व्यवस्था कराई जाए व जनवादी मूल्यों की रक्षा की जाए।

धन्यवाद

जारजूम ऐटे           अशोक चैधरी       मुन्नीलाल                    रोमा

अध्यक्ष              महासचिव       संगठन सचिव            उपमहासचिव

कार्यकारिणी सदस्य – सोकालो गोंण( सोनभद्र उ0प्र0) शोभा भारती ( सोनभद्र उ0प्र0) रामचंद्र राणा( खीरी उ0प्र0) मातादयाल( रीवा म0प्र0) मंगल प्रसाद ( चित्रकूट उ0प्र0)   नबादा राणा( खीरी उ0प्र0)     फूलमति राणा( खीरी उ0प्र0)    कमला खरवार( कैमूर बिहार)   रजनीश गंभीर ( खीरी उ0प्र0)     रमाशंकर( सोनभद्र उ0प्र0)      धनपति( चन्दौली उ0प्र0)       सनीचर अगरिया ( गढ़वा झाड़खंड) राजकुमारी ( मिर्जापुर उ0प्र0) हरिंिसंह व शिमला ( हरिद्वार उत्तराखंड़) मुजाहिद नफीस( गुजरात)

 


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