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19th April, 2015 | Nai Duniya | http://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/raipur-firing-on-opponents-of-kanhar-dam-352150

ग्राउंड रिपोर्ट-कनहर से आवेश तिवारी। उत्तर प्रदेश-छत्तीसगढ़ सीमा पर बन रहे कनहर बांध का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों पर एक हफ्ते में दूसरी बार उत्तर प्रदेश पुलिस का कहर बरपा है। शनिवार सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर सोते हुए आंदोलनकारी स्त्री-पुरुष और बच्चों को चारों तरफ से घेरकर पुलिस ने तमाम मानवाधिकारों को ताक पर रखकर जमकर लाठियां बरसाई।

तकरीबन 500 राउंड गोलियां चलाई गई, आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इसके पहले 14 अप्रैल को भी पुलिस ने बांध का विरोध कर रहे आदिवासियों पर गोलियां बरसाई थीं। शनिवार की घटना के बाद जहां समूचे बांधतल पर मरघट जैसी शांति पसरी हुई है, वहीं यूपी-छत्तीसगढ़ का सीमावर्ती इलाका, जो एक वक्त घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है, फिर से अतिसंवेदनशील परिस्थितियों में आ घिरा है।

घायल दुद्धी में भर्ती

फिलहाल जिस जगह पर बांध विरोधी शुक्रवार तक धरना दे रहे थे, वहां जगह-जगह जूते-चप्पल दिखाई दे रहे हैं। शनिवार की घटना में 18 लोगों के घायल होने की खबर है, जिनमें 13 पुरुष और पांच महिलाएं हैं। घायलों में से ज्यादातर के हाथ-पैर टूटे हैं, इन सभी को यूपी के दुद्धी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पुलिस बल की मौजूदगी में भर्ती कराया गया है।

इसके अलावा दोनों ही राज्यों से भारी संख्या में लोगों के लापता होने की भी खबर मिल रही है। खबर लिखने तक उत्तर प्रदेश पुलिस और पीएसी के जवान यूपी-छत्तीसगढ़ सीमा पर बसे गांवों में भीतर तक घुस चुके थे और गांव वालों को जल्द से जल्द गांव खाली करके चले जाने का हुक्म सुना दिया गया है। घटना के बाद यूपी पुलिस द्वारा तकरीबन 18 आदिवासियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं यूपी पुलिस का दावा है कि हमने रबर की गोलियां हवा में फायर की हैं।

यूपी पुलिस को छत्‍तीसगढ़ में प्रवेश की इजाजत नहीं

इन सबके बीच छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के एसपी सदानंद ने सरगुजा में मौजूद सीआरपीएफ की एक कंपनी और छत्तीसगढ़ पुलिस को उत्तर प्रदेश की सीमा ओर रवाना कर दिया है। 'नईदुनिया' से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर यूपी पुलिस को छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि हमारी टीम लगातार पेट्रोलिंग कर रही है।

उन्हें जब यह बताया गया कि पीएसी की एक टुकड़ी छत्तीसगढ़ सीमा में भी घुस आई है तो उन्होंने कहा कि हम इसका पता लगा रहे हैं। पिछली बार हुई फाइरिंग में हम मौके पर गए थे और यूपी के अधिकारियों को राज्य की सीमा के भीतर पुलिस बल का प्रयोग न करने की चेतावनी दी थी। एसपी बलरामपुर का कहना था कि हमने सनवाल थाने को अलर्ट रहने के आदेश दिए हैं।

अमराव से छत्‍तीसगढ़ जाने वाला रास्‍ता बंद

उत्तर प्रदेश-छत्तीसगढ़ सीमा पर 2300 करोड़ की लागत से बनाई जा रही कनहर बांध परियोजना को देखकर एकबारगी आपको हिटलर के यातना शिविर की याद आ सकती है। अमवार से छत्तीसगढ़ को जाने वाला रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। जिन गावों में पुलिस कार्रवाई कर रही है, वहां किसी को जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है।

यहां तक कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुद्धी में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच भर्ती किए गए घायलों से मिलने के लिए भी हमें चिकित्सकों की टीम का हिस्सा बनना पड़ता है। प्रशासन के आदेश पर चिकित्साकर्मियों के अलावा किसी को भी घायलों से मिलने की इजाजत नहीं है।

सो रहे लोगों पर डंडे बरसाने लगी पुलिस

पुलिस की मार से गंभीर तौर पर चोटिल सुंदरी गांव के रहने वाले अजीमुद्दीन ने बताया कि उस वक्त हम सभी सोए हुए थे, जब पीएसी और पुलिस के जवानों ने हम पर हमला बोला। वे हमें चारों ओर से घेर कर डंडे बरसाने लगे। औरतों को पत्थरों पर ही बाल पकड़ कर घसीट रहे थे। हर तरफ चीख-पुकार और बच्चों के रोने की आवाज आ रही थी। जब दूसरी ओर खड़े लोग हम लोगों के बचाव के लिए दौड़े तो पुलिस वालों ने हवा में फाइरिंग करना शुरू कर दिया।

जिनके शरीर में ताकत बची थी वो पहाड़ों की तरफ भागे। उनके पीछे पुलिस के जवान भी बंदूक और लाठियां लेकर दौड़ पड़े। अजीमुद्दीन का कहना है कि शनिवार को मौके पर छत्तीसगढ़ के झारा, त्रिशूली और अन्य गांवों के लोग ज्यादा थे। अब कौन कहां है, किसी का पता नहीं है। मैं तो एक घंटे तक बेहोश रहा, यहां कैसे आया नहीं मालूम। मौके पर मौजूद बांध विरोधियों ने बताया कि पुलिस ने शुक्रवार रात में ही कनहर बांध प्रखंड के कार्यालय में दर्जनों सरकारी एम्बुलेंस मंगवाकर खड़ी कर दी थी, जिससे पता चलता है कि प्रशासन ने बल प्रयोग करने की तैयारी पहले से कर ली थी।

बांध का काम करने वालों को भी पीटा

जिस वक्त हम इस खबर के लिए अमवार की ओर निकले उस वक्त रास्ते में एक एम्बुलेंस भी जाती दिखाई दी। एम्बुलेंस में मौजूद गंभीर तौर पर घायल बघाडू के रामविचार ने बताया कि मैं उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग में ही काम करता हूं और हमें बांध की छत्तीसगढ़ की सीमा पर बाउंड्री का काम करने के लिए भेजा गया था। पुलिस ने मेरे भी हाथ तोड़ दिए और मेरे सिर पर लाठियां मारी।

घटना के बाद लगातार पांचवें दिन कनहर बांध पर काम बंद है। घटना के बाद एक्सेल माइनिंग नामक कंपनी, जो बांध क्षेत्र में ड्रीलिंग का काम करती थी, अपना साजो-सामान लेकर वापस चली गई है। अखिल भारतीय वन श्रमजीवी मंच की रोमा ने 'नईदुनिया' को बताया कि शनिवार की घटना में उन लोगों ने भी आंदोलनकारियों पर लाठियां बरसाईं, जिन्हें मुआवजा मिल गया है। यूपी पुलिस ने इस घटना को अंजाम देने के लिए वर्दियां पहना दी थी। घटना के बाद कलेक्टर सोनभद्र संजय कुमार ने आदिवासियों के एक गुट के साथ बातचीत की है।

बातचीत में मौजूद रामप्रताप यादव नामक आदिवासी नेता ने बताया कि प्रशासन द्वारा दोबारा सर्वेक्षण कराने की बात कही जा रही है। साथ ही घायलों के इलाज और जो लोग लापता हैं, उन्हें सौंपे जाने को भी कहा जा रहा है। जिलाधिकारी ने उत्तर प्रदेश के गांवों में कमेटियां बनाकर सर्वे टीम में शामिल होने का भी प्रस्ताव दिया है। आदिवासियों का कहना है कि हम सभी इन प्रस्तावों पर विचार कर रहे हैं।

वहीं छत्तीसगढ़ के झारा, त्रिशूली सहित दर्जन भर गांवों के आदिवासियों का कहना है- हम किसके पास जाएं? हम लाठियां भी खाते हैं और न तो हमारी सुनवाई छत्तीसगढ़ सरकार करती है, न ही उत्तर प्रदेश सरकार। इन सबके बीच दिल्ली, छत्तीसगढ़ और झारखंड से भूमि अधिकार आंदोलन से जुड़े कई वरिष्ठ नेताओं और एक्टिविस्टों का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार सुबह अमवार पहुंच रहा है।

 

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