
�सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने कहा है कि भूमि अध्याग्रहण अध्यादेश के चलते नरेंद्र मोदी को एक न एक दिन अपनी सत्ता गवानी पड़ेगी।
�यह अध्यादेश नई बोतल में पुरानी शराब जैसी है और देश की 17 फीसदी जमीन अधिग्रहित करने की साजिश का हिस्सा है। कनहर के विस्थापितों पर दर्ज हुए मुकदमे हटाकर उन्हें वार्ता के लिए सरकार को बुलाना चाहिए।
कनहर सिंचाई परियोजना में विस्थापितों और पुलिस के बीच बीते दिनों हुए संघर्ष और परियोजना के निर्माण कार्य का जायजा लेने दुद्धी जाते समय राबर्ट्सगंज में रुकीं पाटेकर ने पत्रकारों से वार्ता में कहा कि मोदी सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून सिर्फ भूमि ही नहीं किसानों के अधिकारों के भी अधिग्रहण का कानून है।
उद्योगपतियों के लिए सरकार लाखों करोड़ रुपये छूट दे रही है और किसानों के उपज का तक वाजिब मूल्य निर्धारित नहीं हो रहा। हर तीन घंटे में छह किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
�हर घंटे दो सौ से ज्यादा किसान आत्महत्या का प्रयास कर रहे हैं। कहा कि किसानों, श्रमिकों के पक्ष में जनतांत्रिक विकास नियोजन जरूरी है।
�उन्होंने कहा कि दिल्ली में आप की रैली के दौरान किसान की आत्महत्या के बावजूद दो घंटे तक रैली चलना निंदनीय है। यह मानवीयता के विपरीत है।
�कनहर सिंचाई परियोजना के निर्माण पर भी उन्होंने सवाल उठाया। कहा कि वर्ष 1981 के पर्यावरणीय क्लियरेंस पर सरकार परियोजना का निर्माण करा रही है जबकि इसका मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
�आखिरकार सरकार को इतनी जल्दी क्यों मच गई। 2013 के कानून का पालन क्यों नहीं हो रहा। कहा कि वे परियोजना निर्माण के विरोधी नहीं हैं और हिंसा के खिलाफ हैं।
�शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे विस्थापितों पर लाठीचार्ज, गोली चलाना निंदनीय है। कहा कि सरकार इस मामले का निस्तारण वार्ता के जरिए करे।
�सरकार को विस्थापितों पर से केस हटाकर उन्हें बुलाकर वार्ता करना चाहिए और फिर परियोजना का निर्माण सर्वानुमति से की जानी चाहिए।
�वार्ता के बाद वे कनहर सिंचाई परियोजना के विस्थापितों से मिलने के लिए चली गईं। इस दौरान एसडीएम सदर राजेंद्र प्रसाद तिवारी, एएसपी शंभूशरण यादव, सीओ सच्चिदानंद समेत सुरक्षा में भारी संख्या में फोर्स तैनात रही।

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