Dainik Jagran | 26th April, 2015 | http://www.jagran.com/news/state-12303807.html
दुद्धी (सोनभद्र) : तेज बारिश के दौरान समाजसेवी मेघा पाटेकर डूब क्षेत्र के गांवों में विस्थापितों से मिली। पुलिस को छकाते हुए उनका कारवां अलग रास्ते से शनिवार की शाम करीब साढ़े सात बजे कोरची पहुंचा। प्राइमरी स्कूल के समीप किराना दुकानदार के आहते में अगुवाई कर रहे लोगों ने उनका परिचय ग्रामीणों से कराया। तिरपाल पर साथियों संग नि:संकोच बैठते हुए मेघा ने गांव आने का उद्देश्य बताया। वहां एकत्र आधा दर्जन ग्रामीणों से सवाल व जबाव का सिलसिला शुरू हुआ। डूब क्षेत्र की आबादी, ¨सचित व अ¨सचित जमीनों की स्थिति आदिवासी, दलित, पिछड़े, सामान्य वर्ग की आबादी, उनके जीविकोपार्जन व परियोजना निर्माण व मुआवजा आदि से संबधित सवाल पूछे। कुछ देर बाद मौके पर पहुंचे प्रधानपति रमेश से घोषित सरकारी विस्थापन पैकेज से ग्रामीणों की संतुष्टि से लगायत सवाल पूछे। घंटे भर से अधिक ग्रामीणों से गुप्तगू करने के बाद वे करीब पौने नौ बजे भीसूर गांव पहुंची। आटा चक्की के सामने झोपड़ी में उपस्थित लोगों से हालचाल करने के बाद वे वहीं बैठ गई। साथ चल रहीं जागृति व मीरा समेत अन्य सहयोगियों ने आसपास के घरों का दरवाजा खटखटाकर वहां कुछ महिलाओं को एकत्र किया। समाजसेविका ने आसपास तमाशबीन बने पुलिस को हटा कर उनके बीच दोस्ती बढ़ाई। इसके बाद कनहर आंदोलन के दरम्यान 23 दिसंबर, 14 व 18 अप्रैल को हुए बवाल की जानकारी महिलाओं से लीं। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि वे घटनाक्रम से इतना भयभीत हो चुके हैं कि सरकार उन्हें जो कुछ दे रही है, उसे लेकर वे गांव छोड़ने का मन बना चुके है। अब उनमें आंदोलन चलाने की हिम्मत नहीं है। यह सिलसिला रात्रि करीब साढ़े 11 बजे तक चला। इसके बाद उनका काफिला जिला मुख्यालय के लिए रवाना हो गया।
पहलुओं की जांच के बाद समर्थन : मेघा
दुद्धी (सोनभद्र): कनहर परियोजना के डूब क्षेत्र के ग्रामीणों से मिलने के बाद मेघा पाटेकर ने कहा कि परियोजना के तीन विशेष पहलुओं का अध्ययन करने के बाद वे आंदोलन के समर्थन से संबंधित निर्णय लेगी। पहला बांध का काम, दूसरा सरकार की ओर से विस्थापितों को दिए जाने वाले मुआवजा व तीसरा पुलिस बल प्रयोग का औचित्य। इसके एक पक्ष से वे रुबरू हो रही है। सरकार का पक्ष जानने के लिए वे मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास कर रहीं हूं। ग्रामीणों से हुई वार्ता का खुलासा करते हुए कहा कि अब तक जो तथ्य उनके सामने आए है, उसके सरकार का पक्ष कमजोर लग रहा है। वे जानने का प्रयास कर रहीं है कि आखिर ऐसी कौन सी स्थिति आ गई कि पुलिस को फाय¨रग करने की नौबत आई। पुलिस बल प्रयोग करने के पूर्व इसे रोकने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने सैद्धान्तिक अधिकारों का प्रयोग किया कि नहीं। इसके अलावा बल प्रयोग करने के पूर्व आवश्यक कानूनी अर्हताओं का पालन किया गया है कि नहीं। इसके अलावा ग्रीन ट्रिब्यूनल में केस लंबित होने के बावजूद फैसला आने के पूर्व ही बांध का निर्माण करान के पीछे क्या उद्देश्य है। इन सब सवालों को लेकर वे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से शीघ्र मिलने की बात कही। पाटेकर ने इतना अवश्य कहा कि अब तक की जांच से इतना स्पष्ट हो गया कि विस्थापितों के बीच पुलिस ने डर पैदा किया है। संवाद व रिश्ता बनाने की कोशिश नहीं की गई है। मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की।
महाराष्ट्र में हर तीन घंटे में छह किसान कर रहे आत्म हत्या
आप की रैली में किसान गजेंद्र ¨सह के आत्महत्या के मामले पर दु:ख प्रकट करते हुए मेघा पाटेकर ने कहा कि किसान की आत्महत्या ही एक गंभीर मुद्दा है। महाराष्ट्र में हर तीन घंटे में छह किसान आत्म हत्या कर रहे है। कई जिलों में प्रति दिन किसानों के मरने की संख्या तीन से नौ पहुंच रही है। कृषि व उद्योग के बीच समानता न होने का हवाला देते हुए कहा कि उद्योगपति श्रम व प्रकृति का सही दाम नहीं लगा रहे है। सरकार नीति निर्धारण में खेती को प्रधानता नहीं मानते, उनका मानना है कि उद्योगपति ही देश चलाते है। इसलिए सरकार सिर्फ उद्योगपतियों के हित के बारे में सोचती है। किसान उनके लिए महज कीड़े-मकोड़े है, जो खेत में सिर्फ अन्न पैदा करने का काम करते हैं। यही कारण है कि गजेंद्र सरीखे बड़े किसान भी आत्महत्या करने को विवश हो रहे है। सभी राजनीतिक दलों की तरह आप भी उसमें शामिल हो चुकी है। भरी सभा में किसान के आत्महत्या की घटना घटित होने के बावजूद वे अपने भाषण को पूरा करने में लगे हुए थे, जो बेहद शर्मनाक है। हालांकि मामले में अर¨वद केजरीवाल के माफी मांगने की बात को अच्छा कदम बताया।