28th April, 2015 | http://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/raipur-news-358244
रायपुर। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में बन रहे कनहर बांध से छत्तीसगढ़ के 19 गांव पूरी तरह और 8 गांव आंशिक रूप से डूब में आएंगे। इससे क्षेत्र के 50,000 लोगों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पूरे क्षेत्र का दौरा करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है। सीबीए के संयोजक आलोक शुक्ला, सीपीएम के राज्य सचिव संजय पराते और एडवोकेट सुधा भारद्वाज ने सोमवार को एक पत्रकारवार्ता में बताया कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों को भ्रम की स्थिति में रखे हुए हैं। अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि कितने गांव डुबान क्षेत्र में आएंगे। यही नहीं, परियोजना के प्रभावितों को 1983 के आधार पर मुआवजा दिया जा रहा है, जबकि नए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के आधार पर मुआवजा दिया जाना चाहिए।
सीबीए ने पूरे मामले में छत्तीसगढ़ शासन की भूमिका पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उत्तर प्रदेश में बांध का निर्माण कार्य पुनः शुरू हुआ तो क्या छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा परियोजना के संबंध में कोई अनापत्ति या सहमति दी गई है? क्या बांध से छत्तीसगढ़ में होने वाले डूब क्षेत्र की समस्त जानकारी राज्य सरकार ने प्राप्त की थी ? क्या छत्तीसगढ़ के डूब प्रभावित ग्राम सभाओं से सहमति प्राप्त की गई ? क्या वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के क्रियान्वयन की कार्रवाई पूर्ण हो चुकी है ? संजय पराते ने कहा कि यदि इसमें छत्तीसगढ़ सरकार की सहमति नहीं थी तो निर्माण कार्य शुरू होने के समय आपत्ति क्यों दर्ज नहीं कराई? कई महीनों के जन-विरोध के बाद अब क्यों सर्वे किया जा रहा है। श्री पराते ने मांग की कि छत्तीसगढ़ सरकार केंद्र से हस्तक्षेप की मांग करे। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के साथ हुए एमओयू के दस्तावेज सार्वजनिक करे।
आलोक शुक्ला ने कहा कि कनहर बांध परियोजना के पर्यावरणीय तथा सामाजिक प्रभाव का सम्पूर्ण अध्ययन किया जाए और इसके पूर्ण होने तक बांध के निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए। ग्रामीणों पर दर्ज सभी फर्जी केस वापस लिए जाएं। प्रभावित ग्राम सभाओं से स्वीकृति ली जाए, वनाधिकार मान्यता प्रक्रिया पूर्ण की जाए, तथा जनसुनवाई जैसे सभी महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि यह पूरा क्षेत्र घने जंगल और समृद्ध जैव-विविधता से परिपूर्ण है। तेंदुआ, हाथी, भालू, चिंकारा जैसे महत्वपूर्ण संरक्षित जानवरों का भी आवास स्थल है, जिससे यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सरकार की ओर से हो रहा भ्रामक प्रचार
एडवोकेट सुधा भारद्वाज ने कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रभावित गांवों को इस परियोजना के प्रभाव के बारे में पूरी तरह भ्रम में रखा जा रहा है। बलरामपुर जिले के रामचन्द्रपुर ब्लॉक के इन गांवों में पूर्व गृह मंत्री रामविचार नेताम लगातार प्रचार कर रहे हैं और आश्वासन दे रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में कोई डूबान नहीं होगा, न ही कोई गांव प्रभावित होगा। उत्तर प्रदेश में हुई गोलीबारी के बाद छत्तीसगढ़ के कुछ अधिकारियों द्वारा सर्वे कार्य शुरू किया गया। 18 अप्रैल को अचानक एक इंजीनियर ने झारा गांव आकर बताया कि केवल 250 एकड़ जमीन डुबान में आएगी, जिसमें से 100 एकड़ ही निजी भूमि है। एक गांव में लगे पोस्टर में छत्तीसगढ़ में आ रहे डुबान क्षेत्र का नक्शा मिला, जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ का एक बहुत बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा।
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