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15, Apr, 2015 | http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/2326/6/0#.VUQ0i-REHrc

छत्तीसगढ़ की सीमा से लगने वाले उत्तर प्रदेश के अमवार गांव में कन्हर नदी पर बन रहे बांध के डूबान क्षेत्र में आने की आशंका वाले गांवों के लोगों के लिए अपने हितों पर ध्यान केन्द्रित कराने का विरोध प्रदर्शन के अलावा विकल्प भी क्या है। छत्तीसगढ़ सरकार बांध के निर्माण की अपनी औपचारिक सहमति 2010 में ही दे दी थी। उत्तर प्रदेश के किसान उचित मुआवजा न मिलने के मुद्दे पर विरोध का झंडा बुलंद किए हुए हैं। इस बांध से प्रभावित होने वाले छत्तीसगढ़ के चार गांवों के लोग अपने गांवों को प्रभावित गांवों की सर्वे रिपोर्ट में शामिल करने के लिए इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हैं। इन लोगों का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बांध की सर्वे रिपोर्ट ठीक से नहीं देखी और निर्माण की सहमति दे दी। कल बांध बनकर तैयार होने के बाद उनकी कौन सुनेगा। इन गांवों के लोग इस बांध के निर्माण के ही खिलाफ रहे हैं और बांध के निर्माण के लिए किसी प्रकार की गतिविधियां शुरु होने का पता चलने पर वे विरोध प्रदर्शन के लिए घरों से निकल पड़ते थे। इसी विरोध के कारण इस बांध का निर्माण टलता रहा। उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के आने के बाद वहा कें सिंचाई मंत्री ने इस बांध के निर्माण में खासा दिलचस्पी दिखाई और छत्तीसगढ़ के साथ ही झारखंड सरकार से भी निर्माण की सहमति ले ली। कन्हर नदी तीनों पड़ोसी राज्यों की सीमाएं निर्धारित करती है और नदी पर बनने वाले इस बांध से तीनों का हित-अहित जुड़ा हुआ है। ग्रामीण अक्सर बांध के निर्माण के खिलाफ उग्र प्रदर्शन करते रहे हैं। प्रदर्शनकारियों पर आज के पुलिस लाठी चार्ज और फायरिंग की घटना से विरोध की आग और भड़क सकती है। पुलिस बलपूर्वक इस विरोध को दबाने की कोशिश कर रही है। निर्माण स्थल पर बेरकेडिग करके लोगों को रोकने का प्रयास किया गया है। प्रदर्शनकारियों ने बेरकेटिंग तोड़कर काम रोकने का प्रयास किया और बड़ी संख्या में मौजूद पुलिस वालों से संघर्ष शुरू हो गया। इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ सरकार अनजान बनकर नहीं रह सकती। यह केवल उत्तर प्रदेश सरकार का मामला नहीं है। उसे राज्य की सीमा पर बसे गांवों के लोगों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। राज्य में यदि इसे लेकर कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होती है तो उससे राज्य को ही निपटना पड़ेगा। पुलिस के लाठी चार्ज और फायरिंग की घटना में घायल लोगों के बारे में यह बताने की कोशिश की जा रही है कि वे उत्तर प्रदेश के ही लोग हैं जबकि जिस एक व्यक्ति के सीने में गोली लगी है वह छत्तीसगढ़ के ग्राम झारा का रहने वाला है। गांव वालों की चिन्ता दूर करने के लिए सरकार को आगे आकर काम करना चाहिए। यदि उसे लगता है कि बांध के डूबान क्षेत्र में उनकी जमीन नहीं आने वाली है, तो उन्हें इस बात के लिए भरोसे में लेने में हर्ज क्या है। सरकार विश्वास भी दिला सकती है कि यदि उनकी जमीन डूब में आई तो सरकार उसका पूरा मुआवजा देगी।

 


Inventory of Traditional/Medicinal Plants in Mirzapur