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April 20, 2015 | http://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/raipur-minister-brij-mohan-said-would-not-compromise-interests-of-chhattisgarh-353216

नई दिल्ली (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश- छत्तीसगढ़ सीमा पर बनाए जा रहे कनहर बांध का विरोध करने वाले आदिवासियों पर शनिवार को दोबारा बरपा पुलिसिया कहर ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

उधर, छत्तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने 'नईदुनिया' से हुई बातचीत में दो टूक शब्दों में कहा है कि छत्तीसगढ़ के हितों से कतई समझौता नहीं किया जाएगा। हमने उत्तरप्रदेश सरकार से बांध की ड्राइंग डिजाइन और अन्य कागजात मंगवाए हैं। हमारे विशेषज्ञों की टीम उसका अध्ययन करेगी। अगर छत्तीसगढ़ के हितों को कनहर बांध के निर्माण से कोई भी नुकसान पहुंच रहा होगा तो बांध का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा।

इस बीच कनहर मामले की जांच को पहुंचे दिल्ली, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तरप्रदेश से दर्जनभर भूमि अधिकार आंदोलनों से जुड़े एक्टिविस्टों की टीम के सदस्यों कविता कृष्णन, प्रिया पिल्लई, पूर्णिमा, देवादित्य के अलावा दो स्वतंत्र पत्रकारों की बघाडू नामक गांव से कुछ देर के लिए हिरासत में ले लिया गया था। फिर कुछ देर के बाद उनके सामानों की जांच करने के बाद उन्हें दुद्धी छोड़ने का आदेश देते हुए रिहा कर दिया गया।

अफसरों पर अभद्रता का आरोप

कविता कृष्णन ने इस दौरान अधिकारियों पर अभद्रता करने और धक्का मुक्की का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि स्थानीय प्रशासन ने एक्टिविस्टों और मीडिया के उक्त क्षेत्र में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इन्हें रोकने हेतु अमवार वाराणसी मार्ग पर जगह- जगह बैरिकेटिंग भी लगाई गई थी। इन लोगों ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकिसा विज्ञान संकाय में भर्ती किए गए छत्तीसगढ़ के अकलू चेरो से भी मुलाकात की है।

कंपनी के कर्मियों का इंकार

गौरतलब है कि 14 अप्रैल को हुई पुलिसिया फायरिंग में अकलू के सीने में गोली लगी थी। शनिवार को यूपी पुलिस और पीएसी की कार्रवाई के बावजूद रविवार को कनहर बांध स्थल पर काम शुरू नहीं हो पाया है। उत्तरप्रदेश सिंचाई विभाग के कर्मचारियों के साथ-साथ बांध का निर्माण कर रही एचईएस इन्फ्रा के कर्मचारी भी काम करने से इंकार कर रहे हैं।


Inventory of Traditional/Medicinal Plants in Mirzapur