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May 1, 2015 | http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/2348/6/0#.VUWG1OG1Gko

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की सीमा से सटकर बहने वाली कन्हर नदी पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराए जा रहे बांध के निर्माण को तब तक रोक देने का अनुरोध किया है जब तक इस बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले छत्तीसगढ़ के किसानों को उचित मुआवजा और पुनर्वास प्रबंधों पर सहमति नहीं बन जाती। बांध के निर्माण में सरकार का यह हस्तक्षेप कुछ देर से उठाया गया कदम जरुर है पर यह एक जायज हस्तक्षेप है। राज्य सरकार ने पूरी भलमनशाहत के साथ इसके निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी औपचारिक सहमति दी थी। शर्तें वहीं थी जो किसी बांध से विस्थापित होने वाले लोगों के मामले में लागू होती हैं। यानी डूब में आने वाली भूमि का निर्धारित दर पर मुआवजा और उनके पुनर्वास की व्यवस्था करना शामिल है। बांध के सर्वे के मुताबिक छत्तीसगढ़ के चार गांवों के सैकड़ों किसानों की भूमि इस बांध के डूबान क्षेत्र में आ रही है मगर उत्तरप्रदेश के अधिकारियों ने इन किसानों का कोई मुआवजा प्रकरण नहीं बनाया और सर्वे रिपोर्ट में हेरफेर कर छत्तीसगढ़ सरकार को गुमराह करते हुए बांध का निर्माण कार्य भी शुरु कर दिया। इस पर लोगों का गुस्सा भड़क उठा और हजारों बांध प्रभावित बांध का निर्माण रोकने धरने पर बैठ गए। जब इन प्रदर्शनकारियों को जबरिया खदेडऩे की कोशिश की तो पुलिस के साथ संघर्ष की भी नौबत आ गई और तब सरकार का इस ओर ध्यान गया। अब सरकार की ओर से मुख्य सचिव ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर डूब क्षेत्र के निर्धारण के लिए फिर से सर्वे कराने तथा प्रभावित छत्तीसगढ़ के किसानों को उचित मुआवजे का भुगतान होने तक निर्माण कार्य स्थगित रखने का अनुरोध किया है। पत्र में कहा गया है कि यह छत्तीसगढ़ के किसानों के हितों की अनदेखी ही है कि उनके मुआवजा प्रकरणों के निराकरण के पहले बांध का निर्माण शुरु कर दिया गया। राज्य के 4 गांवों की करीब 263 हेक्टेयर भूमि डूब में आने की संभावना है, जिसमें 86 हेक्टेयर राजस्व भूमि, 56 हेक्टेयर निजी भूमि और 121 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है। सरकार बांध के डूब क्षेत्र में आने वाली भूमि का नए सिरे से सर्वे करा रही है और जल्दी ही मुआवजा प्रकरण तैयार कर उत्तरप्रदेश सरकार को अवगत करा दिया जाएगा। जब किसी बांध का निर्माण दो या उससे अधिक राज्यों के हितों से जुड़ा हुआ हो तो यह सैद्धांतिक रुप से होना चाहिए कि प्रभावित होने वाले पक्षों के मामलों पर आम सहमति तैयार हो जाने के बाद ही काम शुरु कराया जाए मगर अमवार बांध के मामले में तो उत्तरप्रदेश सरकार ने हजारों किसानों की हितों की परवाह किए बिना ही निर्माण शुरू  कर दिया और जब किसानों ने विरोध किया तो पुलिस की लाठियां बरसाने और गोलियां चलाने का आदेश देने में भी कोई संकोच नहीं किया। इस संघर्ष में छत्तीसगढ़ के कुछ किसान घायल भी हो गए थे। इस घटना ने ही सरकार का ध्यान खींचा और अब बांध के मुद्दे पर दोनों राज्यों के बीच उच्चस्तर पर पत्राचार शुरु हुआ है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही विवाद का समाधानकारिक रास्ता निकाल लिया जाएगा।


Inventory of Traditional/Medicinal Plants in Mirzapur