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April 18, 2015 | Tehelka News | http://goo.gl/mgSFsz

 
कनहर से एकता की रिपोर्ट के साथ तहलका न्यूज़ ब्यूरो 
 
सोनभद्र . 18 अप्रैल. कनहर नदी को बहने दो, हमको जिन्दा रहने दो, जंगल हमारे आप का नहीं किसी के बाप का, जैसे जिन गगन भेदी नारों के बीच सोनभद्र जिले में कनहर बाढ़ आन्दोलन विस्फोटक होता जा रहा है. रिपोर्ट लिखे जाने के दौरान अभी अभी खबर मिली है कि धरना स्थल पर आज सुबह पुलिस ने दुबारा फायरिंग की . धरना स्थल पर पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया जिससे मरे हुए और घायलों को धरना स्थल से हटा पाना भी सम्भव नहीं हुआ।  अफवाहों का बाज़ार गर्म है कि कनहर नदी में पुलिस द्वारा मृत और घायल साथियों को प्रोक्लेन मशीन द्वारा दफनाया जा रहा है ताकि सबूत मिटाया जला सके। 
 
1976 में जब पहली बार कनहर और पागन नदी के संगम स्थल पर बांध बनाए जाने की घोषणा हुयी, तभी से आस पास के लगभग 100 से अधिक गांवों के लोग, जो कि ज्यादातर आदिवासी हैं, अपने अपने अस्तित्व का संघर्ष कर रहें हैं। कभी मुखर विरोध और कभी पैसे की कमीं के कारण बंद होते बांध के काम ने मानों पिछले चार दशक से इन ग्रामिणों के सामने धरना प्रदर्शन के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।
 
यह बांध उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के दुद्धी तहसील स्थित अमवार गांव में बनाया जाना प्रस्तावित है। सरकार के अनुसार, सिंचाई परियोजना के नाम पर बनने वाले इस बांध के डूब क्षेत्र में केवल 15 गांव आने हैं। इलाके में आन्दोलन की कमान सम्हाले हुए किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच का आरोप है कि इस आंकड़ें में अमवार के ही प्राथ्मिक विद्यालय को डूब क्षेत्र से बाहर बताया गया है, जो बांध के प्रस्तावित नींव निर्माण स्थल से केवल 2 कि.मी. दूर एक छोटी पहाड़ी के दूसरी तरफ स्थित है।
 
बीते साल 23 दिसम्बर को जिला प्रशासन ने धरने पर बैठे ग्रामिणों को जमकर पीटा था। निहत्थे ग्रामिणों को पीटने के बाद स्थानीय एस.डी.एम. का सर फोड़ने के आरोप में सैकड़ों ग्रामीणों पर एफ.आई.आर. भी किये गये और गिरफ्तारियाँ भी हुयीं। 
 
फिर 14 अप्रैल सुबह 6 बजे अम्बेडकर जयंती मनाने के लिए धरना स्थल पर जब भीड़ बढने लगी, तो फिर प्रशासन ने एकतरफा कार्यवाही की। बहुसंख्यक रूप से महिलाओं की भागीदारी के साथ चल रहे इस प्रदर्शन पर स्थानीय कोतवाल के नेतृत्व में लाठीचार्ज किया गया।
 
प्रदर्शन कारियों का आरोप है कि  प्रदर्शन में शामिल अकलू चेरो को बिलकूल करीब से गोली मार दी गयी , बिना महिला पुलिस के आये पुलिस दल ने न केवल महिलाओं के हाथ पैर तोड़े बल्कि धरने पर उपस्थित किशोरियों और महिलाओं के प्रति अपनी अश्लील कुन्ठा का भी खुले आम प्रदर्शन किया। विरोध में संख्या बढती देख कोतवाल ने आदीवासी अकलू चेरो को बिल्कूल नजदीक से गोली मारी और भाग खड़े हुए। बाद में ग्रामीणों पर सरकारी काम रोकने, पुलिस पर हमला करने और ठेकेदारों की मशीने लूटने के आरोप लगाये गए और इन्हीं आरोपों के तहत 30 नामजद और 400 से ज्यादा अज्ञात लोगों पर मुकदमें कायम किये गये हैं। 
 
अकलू फिलहाल वाराणसी के सर सुन्दारलाल अस्पताल में भर्ती हैं और जीवन के लिए संघर्ष कर रहा  हैं। प्रदर्शनकारियों के अनुसार गोली आरपार हो गयी थी और प्रमाण के बतौर प्रदर्शनकारियों ने वह गोली उठाकर सुरक्षित रख ली है। 6 महिलाओं समेत 11 लोग गम्भीर रूप से घायल हैं और ज्यादातर साथियों की कई हड्डिया टूट चुकीं हैं। प्रस्तावित बांध से प्रभावित होने वाले ऐसे लोगों की संख्या भी अच्छी खासी है जो पास के ही रेनूकुट में बने रिहंद बांध से उजड़े हैं।
 
यह भी खबर मिली है कि छत्तीसगढ के प्रभावित गांवों का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेसी विधायक ने जब धरना स्थल पर पहुँचने की कोशिश की तो उन्हें भी आधे रास्ते से ही बैरंग लौटा दिया गया। 
 
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि एन.जी.टी.(ग्रीन ट्रिब्यूनल) द्वारा बांध पर स्टे दिये जाने के बाद भी शासन ने काम नही रोका है।
 
27 करोंड़ की  लागत से 1976 में  प्रारंभ कनहर परियोजना अब 2300 करोंड़ की हो गयी है जिसे बनाना वर्तमान सरकार के सम्मान की बात हो गयी है वही इस परियोजना में  विस्थापित होने वाले झारखंड ,छत्तीसगढ़,और उत्तर प्रदेश के  सैकड़ो परिवार इसे बनने नही  देना  चाहते  जिसको  लेकर विगत 4 महीने से धरने पर  बैठे  है।
 
जानकारी के अनुसार अभी भी पुलिस व् विस्थापितों के  बीच संघर्ष जारी है। पुलिस द्वारा आशु गोले व् रबड़ की गोलिया चलायी जा रही है तो विस्थापित तीर धनुष से वार कर रहे है .
मीडिया को दो किलोमीटर दूर ही रोका गया है ।
 
 
इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक धरना स्थल पर लगभग 1500 लोग उपस्थित हैं और इन्हें तीन तरफ से घेर कर लगभग 5000 पी.ए.सी. बल, पुलिस बल मौजूद होने की खबर हैं। 

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