July 19th, 2015 | http://www.patrika.com/news/raipur/raipur-risk-of-flood-from-kanhar-dam-on-border-of-chhattisgarh-1055155/
कनहर बांध प्रखंड के अभियंता रामगोपाल ने पत्रिका से कहा, हम महज 1200 क्यूसेक पानी को ही डायवर्ट कर सकते हैं। अगर छत्तीसगढ़ की पहाड़ी नदियों से ज्यादा पानी आता है तो उसे रोकने के लिए कोई उपाय नहीं है
रायपुर. छत्तीसगढ़ में शुरू हुई मानसून की बारिश से पहाड़ी नदियां उफान पर हैं, जिससे उत्तरप्रदेश-छत्तीसगढ़ की सीमा पर करीब 1400 करोड़ की लागत से बन रहे कनहर बांध का काम रोकना पड़ा है। बांध तल पर बना संपर्क मार्ग ध्वस्त हो गया है। इसकी वजह से बांध की नींव बनाने का काम प्रभावित हुआ है।
अमवार मुख्य मार्ग बंद होने से छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती आदिवासी अंचलों के लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं और खतरा बढ़ गया है। बांध बनाने में लगी एजेंसियां बाढ़ के पानी को डायवर्ट कर निकालने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन पानी बढऩे की स्थिति में ऐसा कर पाना भी संभव नहीं होगा। कनहर बांध प्रखंड के अभियंता रामगोपाल� ने पत्रिका से� कहा, हम महज 1200 क्यूसेक पानी को ही डायवर्ट कर सकते हैं।
अगर छत्तीसगढ़ की पहाड़ी नदियों से ज्यादा पानी आता है तो उसे रोकने के लिए कोई उपाय नहीं है।� इस बीच छत्तीसगढ़ के डूब वाले इलाकों के दर्जनभर गांवों� में चिंता बढ़ गई है कि अगर मानसून के दौरान उत्तरप्रदेश ने निर्माण कार्य को जबरिया जारी रखने� के लिए कनहर की जलधारा को रोकने की कोशिश कि तो उसका भयावह असर छत्तीसगढ़ के गांवों पर पड़ेगा।� कनहर बचाओ आंदोलन से जुड़े महेशानंद कहते हैं, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश सरकार के सर्वेक्षणों की असलियत इसी बरसात में नजर आ जाएगी।
आपात स्थिति के लिए इंतजाम
निर्माण स्थल पर मौजूद यूपी के कनहर सिंचाई मंडल के अधिकारियों ने बताया, हम लोगों का प्रयास था कि आगामी 15 जून तक स्पिलवे का निर्माण पूरा कर लेंगे, लेकिन अब यह मुश्किल लगता है। गौरतलब है कि इसी महीने की पहली तारीख को यूपी के सिंचाई मंत्री ने कनहर में कांक्रीट के काम की आधारशिला रखी। सिंचाई विभाग का कहना है कि�� बांध स्थल से करीब पांच किमी दूर छत्तीसगढ़ की ओर नदी के जलस्तर की प्रति घंटे का रिपोर्ट कार्ड बनाने के साथ आपात स्थिति के लिए सायरन बजाने की व्यवस्था की जा रही है, जिससे की� समय रहते लोग जानमाल की सुरक्षा कर सकें। दिलचस्प यह है कि उत्तरप्रदेश सरकार ने कार्यस्थल पर मौजूद लोगों को आपातस्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षण देना भी शुरू कर दिया है।
परियोजना के लिए खतरे की घंटी
त्रिशूली के रामकेवल बताते हैं कि यूपी सरकार खतरे से खेल रही है। वो बताते हैं कि छत्तीसगढ़� में बारिश के बाद कनहर और पांगन नदी में अक्सर जबरदस्त सैलाब आ जाता है, जो कनहर� परियोजना के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। अभी तो केवल संपर्क मार्ग बहा है। हमने बड़े-बड़े ट्रकों को ताश के पत्तों की तरह कनहर में बहते देखा है। कनहर नदी छत्तीसगढ़ के जशपुर से निकलती है।
-आवेश तिवारी, कनहर (सोनभद्र) से